आत्मविश्वास का फ़ॉर्मूला
Step : 1
में जानता हु की मुझमे जीवन के निश्चित
लक्ष्य को हासिल करने की योग्यता है और इसलिए में खुद से यह अपेक्षा रखता हु की
में इसे हासिल करने के लिये निरंतर और लगन से कार्य करू और में यहाँ पर अभी यह
वादा करता हूँ की में इसी तरह से कार्य करूँगा |
Step : 2
मुझे एहसास है की मेरे मस्तिष्क के प्रबल विचार अतंत : अपने आप
को बाहरी , भोतिक कार्यो में बदल लेंगे और धीरे – धीरे अपने आप को भोतिक
वास्तविकता में रूपांतरित कर लेंगे | इसलिए में अपने विचारो को हर दिन 30 मिनट तक
इस बात पर एकाग्र करूँगा की में किस तरह का इंसान बनने के बारे में सोच रहा हूँ
ताकि मेरे मस्तिष्क में इसकी स्पष्ट तस्वीर रहे |
Step : 3
में जानता हु की आत्मसुझाव के सिधांत के
प्रयोग के द्वारा में जिस भी इच्छा को अपने मस्तिष्क में निरंतर बनाये रखूँगा वह
अतंत : किसी प्रैक्टिकल तरीके के द्वारा अपने आपको भोतिक समतुल्य में बदल लेगी और
मुझे वह वस्तु हासिल हो जाएगी जिसका मेने
लक्ष्य बनाया है | इसलिए में हर दिन 10 मिनट इस काम में दूंगा की में आत्मविश्वास
का विकास करूँ |
Step : 4
मेने स्पष्ट रूप से जीवन में अपने प्रमुख
निश्चित लक्ष्य का वर्णन लिख लिया है और में कोशिश करना कभी नहीं छोडूंगा जब तक की
मुझमे इसे हासिल करने का पर्याप्त आत्मविश्वास हासिल न हो जाये |
Step : 5
मुझे पूरी तरह एहसास है की कोई भी सम्पति
या पद लम्बे समय तक तब तक बना नहीं रह सकता
जब तक की यह सत्य और न्याय पर आधारित न हो | इसलिए में किसी भी ऐसी गतिविधि
में सलग्न नहीं होऊंगा जिससे इससे प्रभावित होने वाले सभी लोगो को लाभ न हो | में
ऐसी शक्तियों को अपनी तरफ आकर्षित करके सफलता पाउँगा जिनका में प्रयोग करना चाहता
हु और में दुसरो लोगो के सहयोग के द्वारा सफलता पाउँगा |
इस फोर्मुले के पीछे प्रकति का एक नियम है
जिसे अब तक कोई आदमी स्पष्ट नहीं कर पाया है | इस नियम को आप किस नाम से पुकारते
है यह महत्पूर्ण नहीं है | इसके बारे में महत्पूर्ण तथ्य यह है की – यह मानव जाती
की सफलता और प्रसिदी के लिए काम करता है ,बशर्ते इसका रचनात्मक प्रयोग किया जाये |
इस कारण यह तथ्य है की विचार के सभी सवेंगो की यह प्रवति होती है की वे अपने आप को
अपने भोतिक समतुल्य में रूपांतरित कर लेते है |
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